भूत :- एक अंधविश्वास।
भूत, एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही हमारें दिलों-दिमाग़ में एक डरावना डर उत्पन्न होने लगता हैं। क्या आपनें कभी सोचा हैं कि ऐसा क्यों होता हैं?
नही, न तो आइए मैं बताता हूँ क्योंकि जब एक बच्चा इस धरती पर आता हैं, जब वह अपने बचपन में किसी तरह का ज़िद करता हैं, तो जिसके माता-पिता सक्षम होते है उसकी जिद पूरी करने के लिए उनके लिए तो ठीक हैं, लेकिन जिनके माता-पिता सक्षम नही होते हैं, उनका सुनिए जैसे कि मान लीजिए बच्चा खाना नही खा रहा हैं, तो जो है उनकी माँ वो प्यार से ही कहेगी- बेटा खाना खा लो,नही तो भूत आ जायेगा और आके अपने साथ ले जाएगा।
अब बच्चे को क्या पता हैं कि भूत क्या हैं या कैसा होता हैं? बच्चा उत्सुकता से पूछ बैठता हैं-"ये भूत क्या होता है?" तब माँ बताती हैं - "भूत गन्दे बच्चो को ले जाती हैं, उसके काले-काले लंबे बाल, इतनी बड़ी-बड़ी दाँते, इतनी बड़ी-बड़ी लाल आंखे और उसके मुंह से टपकता खून। मानो कोई-कोई माँ भूत की रचना इस प्रकार से करेगी कि उसने भूत को सामने से देखा हो।
यही से शुरू होता हैं एक बच्चे की ज़िंदगी मे भूत का डर। ये तो रही भूत के डर की बात ।
अब मैं आप सब के बीच अपनी बात रखना चाहूँगा। वैसे तो मैं भूत-प्रेत में विश्वास नही करता था, लेकिन मेरे साथ आज एक ऐसा वाकया हुआ जिसके बाद मुझे लगा नही अगर भगवान हैं तो भूत-प्रेत भी होते हैं।
हुआ यूं कि मैं और मेरे तीन-दोस्त दैनिक तनाव को दूर करने के लिए सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं, जिसे सभी ट्रैक के नाम से जानते हैं। हमारा ट्रैक दियर में हैं जहां सुबह-सुबह बहुत चहल-पहल रहता हैं। यहां बहुत दूर-दूर से नवयुवक जो डिफेंस लाइन में जाना चाहते हैं (जैसे - आर्मी, नेवी और एयरफोर्स इत्यादि।) वो सब भी आते हैं। एक दिन मैं और मेरें दोस्तो ने प्लान बनाया पावर प्लांट जाने का। पावर प्लांट हमारे ट्रैक से 8 किलोमीटर की दूरी पर हैं जहां अक्सर हमारे ट्रैक के नवयुवक दौड़ते हुए जाया करते हैं।
मैं और मेरे दोस्तों ने भी पावर प्लांट पर जाने के लिए प्लान बनाया। प्लान यह था कि सभी को सुबह 4 बजे ट्रैक पर पहुँचना हैं और उसके बाद पावर प्लांट पर जाना हैं। अब आज सुबह मैं 4 बजे उठा और मैंने अपने दोस्तों को फ़ोन किया। सभी-के-सभी घर पर ही थें और मैं अपने घर से चल दिया था क्योंकि मैं बहुत उत्सुक था।
हमारे ट्रैक से कुछ दूरी पहले एक बाँस के कोठी का बहुत बड़ा घना मानिए जंगल हैं जिसके बीचो-बीच रोड हैं और दोनों तरफ घना जंगल हैं।
मैं चल रहा था वैसे तो मैं 4 बजकर 30 मिनट के बाद ही ट्रैक पर जाता हूँ तो बहुत सारे लोग मिलते हैं, लेकिन उस दिन में 4 बजकर 10 मिनट में मैं ट्रैक के उसी घने जंगल के बीच से गुजर रहा था, आज मैं ट्रैक पर इतनी जल्दी जा रहा था कि मुझें कोई नही मिला।
अभी मैं ट्रैक से 100 मीटर की दूरी पर था कि मेरे दस या पंद्रह कदम आगे से कोई गुजरा, मैं तो डर से गया।
मेरे हाथ मे मेरा जियोफोन था मैंने उसकी तरफ टोर्च जलाने की कोशिश की मगर मैंने सोचा कोई औरत होगी जो घूमने के लिए आई होगी। जब मैंने अपने फ़ोन की टोर्च बंद की तो देखा उस औरत की उजले रंग की साड़ी थीं उस बाँस की घने अँधेरे में वो मुझे साफ दिखाई दे रही थी। मैं अपने धुन में था लेकिन अकेला होने के कारण मुझे हल्का डर का महसुस भी हो रहा था।
मैं रोड पे चले जा रहा था और वो औरत रोड के बाद गढ्ढे के उस पार थी जो मेरे साथ कम-से-कम 5 कदम चली थी मैं उसी की तरफ देख रहा था और फिर मैंने आँख की एक पल झपकी और वो औरत ग़ायब।
इतना होने के बाद मैं जल्दी-जल्दी से कदम बढ़ाया और ट्रैक की तरफ दौरा और मैं ट्रैक पर नही रुका।
ट्रैक पर एक गौशाला हैं मैं वहीं जाके रुका। उस समय मेरी धड़कन बहुत तेज थी और मेरे रोंगटे खड़े हो गए थें।
मैं बार-बार यही सोच रहा था कि वो क्या था जो गायब हो गया।
कुछ देर में सवेरा हो गया और मेरे दोस्त भी आ गये। जब ये मैंने अपने दोस्त को बताया तो उन्होंने ने विश्ववास नही किया।
मुझें पता नही की वो क्या था, लेकिन मुझे आज एक अजीब प्रकार का डर का आभास हुआ।
मैंने आज के बाद सोच लिया कि मैं अब अकेले ट्रैक पर नही जाऊँगा और आप लोगो से अनुरोध करूँगा की अकेले किसी भी बेटाइम न जाया करें।
अब मैं आप सभी (जो इस वक्त इस ये पोस्ट पढ़ रहे हैं) से जानना चाहूँगा की क्या आप भूत-प्रेत में विश्वास करते हैं या नही, कमेंट बॉक्स में मुझें जरूर बताएं ।
धन्यवाद।।
आपका अपना
Ranu Yadav (r4_ranu)
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Hmm bhut pret par believe nhi krte hai
ReplyDeleteDekhne ke baad krne lagoge...
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